| Article Title | दलित साहित्य में महिला विमर्श: अस्तित्व और अस्मिता की खोज | 
| Author(s) | कोमल यादव. | 
| Country | |
| Abstract | दलित साहित्य में महिलाओं का संघर्ष, अस्मिता की खोज और सशक्तिकरण की कहानियाँ भारतीय समाज के जटिल सामाजिक ताने-बाने को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन हैं। यह साहित्य उस वर्ग की आवाज़ है जो सदियों से सामाजिक अन्याय, जातिगत भेदभाव और लैंगिक उत्पीड़न का शिकार रहा है। दलित साहित्य ने न केवल महिलाओं के जीवन के संघर्षों को उजागर किया है, बल्कि उनके आत्म-सम्मान और अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है। इसमें महिलाओं के दोहरे शोषण को उजागर करने और उनके प्रतिरोध को मजबूती से सामने रखने का प्रयास किया गया है। दलित महिला लेखिकाओं जैसे कौशल्या बैसंत्री, उर्मिला पवार, और बेबी कम्बले की रचनाएँ उनके व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित हैं और समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देती हैं। ये रचनाएँ महिलाओं के संघर्ष को न केवल जातिगत बल्कि लैंगिक भेदभाव के परिप्रेक्ष्य में भी प्रस्तुत करती हैं, जिससे उनका सशक्तिकरण और आत्म-स्वीकृति का संदेश समाज के सामने आता है। | 
| Area | हिन्दी साहित्य | 
| Issue | Volume 1, Issue 1 (January - March 2024) | 
| Published | 15-01-2024 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 1(1), 10-17. | 
 
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