| Article Title | धर्मवीर भारती के साहित्य में वर्तमान युग की समस्याएँ और उनका समाधान | 
| Author(s) | राजेश कुमार शुक्ल. | 
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| Abstract | धर्मवीर भारती का साहित्य हिंदी साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनके लेखन में मानवीय संवेदनाओं, नैतिकता, प्रेम, त्याग और आध्यात्मिकता की गहरी झलक मिलती है। भारती ने अपने उपन्यासों, नाटकों और कविताओं के माध्यम से समाज की जटिलताओं और वास्तविकताओं को उजागर किया है। उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ प्रेम, त्याग और नैतिकता के संघर्ष को प्रस्तुत करता है, जबकि ‘अंधा युग’ में महाभारत के युद्ध के पश्चात के नैतिक पतन और समाज में व्याप्त अज्ञानता को चित्रित किया गया है। उनकी काव्य रचना ‘कनुप्रिया’ प्रेम की आध्यात्मिकता और गहराई को दर्शाती है। भारती का साहित्य केवल समस्याओं को उभारने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनमें समाज सुधार की प्रेरणा और समाधान भी समाहित हैं। उनका समाज-सुधार दृष्टिकोण नैतिकता, सहिष्णुता, आत्म-जागरूकता और करुणा पर आधारित है। वे मानते थे कि समाज का उत्थान तभी संभव है जब व्यक्ति अपने भीतर झाँककर अपने आचरण में सुधार लाए। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्यिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी अत्यधिक प्रासंगिक हैं। आज के समय में, जब समाज नैतिकता, प्रेम और करुणा के संकट से जूझ रहा है, धर्मवीर भारती का साहित्य हमें एक आदर्श समाज की ओर प्रेरित करता है। उनके लेखन में दी गई शिक्षाएँ समाज के नैतिक और सांस्कृतिक उत्थान में सहायक हो सकती हैं। भारती का साहित्य हमें यह बताता है कि मानवता, आत्म-जागरूकता और सच्चाई के आधार पर ही एक स्थिर और सशक्त समाज का निर्माण हो सकता है। उनकी रचनाएँ हमें सोचने, आत्म-मंथन करने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा देती हैं। | 
| Area | हिन्दी साहित्य | 
| Issue | Volume 1, Issue 1 (January - March 2024) | 
| Published | 24-01-2024 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 1(1), 18-24. | 
 
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