Article Title |
अमृता प्रीतम के साहित्य में प्रेम, पीड़ा और विद्रोह का स्वर |
Author(s) | राधिका मिश्रा. |
Country | |
Abstract |
अमृता प्रीतम भारतीय साहित्य की एक अत्यंत प्रभावशाली कवयित्री और लेखिका हैं, जिनका नाम प्रेम, पीड़ा और विद्रोह के गहन भावों से जुड़ा हुआ है। वे पंजाबी भाषा की पहली प्रमुख महिला साहित्यकार मानी जाती हैं, जिन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से न केवल स्त्री जीवन की जटिलताओं को उजागर किया बल्कि सामाजिक अन्याय, मानवीय संवेदनाओं और राष्ट्रीय विभाजन की पीड़ा को भी प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त किया। उनका साहित्य प्रेम की कोमलता के साथ-साथ उस पीड़ा और संघर्ष का प्रतिबिम्ब भी है जो उन्होंने अपने जीवन में और अपने आसपास के समाज में महसूस किया। अमृता प्रीतम का जीवन स्वयं एक संघर्षमय यात्रा थी। वे एक ऐसे दौर में बड़ी हुईं जब महिलाओं के लिए अपनी बात कहना और स्वतंत्रता प्राप्त करना कठिन था। उनका साहित्य इस स्त्री अस्मिता की आवाज़ बन गया, जिसने महिलाओं के अधिकार, उनके दुःख और उनके विद्रोह को अभिव्यक्त किया। वे न केवल प्रेम की कवयित्री थीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांतिकारी भी थीं, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक बंधनों और रूढ़ियों को चुनौती दी। उनकी कविताओं और कहानियों में स्त्री की वेदना, उसकी आशा और उसकी लड़ाई तीनों की परछाई मिलती है। |
Area | हिन्दी साहित्य |
Published In | Volume 1, Issue 1, March 2024 |
Published On | 20-03-2024 |
Cite This | मिश्रा, राधिका (2024). अमृता प्रीतम के साहित्य में प्रेम, पीड़ा और विद्रोह का स्वर. Shodh Sangam Patrika, 1(1), pp. 25-30. |