| Article Title | प्रेमचन्द की कहानियों में यथार्थवाद का स्वरूप | 
| Author(s) | अमित कुमार. | 
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| Abstract | प्रेमचन्द हिन्दी साहित्य के ऐसे महान साहित्यकार हैं, जिन्होंने साहित्य को केवल कल्पना और मनोरंजन का साधन न मानकर उसे समाज परिवर्तन का औज़ार बनाया। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध और बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जब हिन्दी साहित्य आदर्शवाद और भावुकता की सीमा में बँधा हुआ था, तब प्रेमचन्द ने उसे यथार्थ की कठोर ज़मीन पर उतारा। वे हिन्दी कहानी और उपन्यास को एक नई सामाजिक चेतना, संवेदना और उद्देश्य के साथ प्रस्तुत करने वाले पहले रचनाकारों में से एक माने जाते हैं। प्रेमचन्द का साहित्य मुख्यतः ग्रामीण भारत के जीवन, उसकी समस्याओं, विसंगतियों और संघर्षों का यथार्थ चित्रण करता है। उन्होंने अपने पात्रों को गाँव की मिट्टी से उठाया, जो आम जनजीवन की पीड़ा, शोषण, अभाव और संघर्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी कहानियाँ जैसे पूस की रात, कफन, सद्गति और ईदगाह आदि में समाज के निचले तबके के जीवन का सहज और मार्मिक चित्र प्रस्तुत किया गया है। | 
| Area | हिन्दी साहित्य | 
| Issue | Volume 1, Issue 2 (April - June 2024) | 
| Published | 30-04-2024 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 1(2), 6-12. | 
 
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