भक्तिकाल में रामस्नेही संप्रदाय

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 4 (October - December 2025)
Article Title

भक्तिकाल में रामस्नेही संप्रदाय

Author(s) बबिता कुमावत.
Country
Abstract

रामस्नेही संप्रदाय स्वामी रामचरण जी द्वारा स्थापित एक महत्वपूर्ण संप्रदाय है, इन्होंने सामाजिक कुरीतियों व आडंबरों का विरोध किया, यह संप्रदाय निर्गुण राम की भक्ति पर जोर देता है। निर्गुण राम का अर्थ है वह राम जो लौकिक गुणों और भक्ति से परे हो। इस संप्रदाय की चार मुख्य शाखाएं हैं – शाहपुरा, रेण, खेड़ापा और सिंहथल। इस संप्रदाय ने विभिन्न धर्मों में समन्वय स्थापित किया, ये किसी प्रकार की जाति पाँति में विश्वास नहीं करते हैं मानवीय मूल्यों से संपन्न यह धर्म रामस्नेही संप्रदाय कहलाया इन संतों ने अपनी वाणी को लोक भाषा के माध्यम से जनता तक पहुंचाया। शाहपुरा शाखा के प्रवर्तक स्वामी रामचरण जी महाराज थे, उन्होंने कठोर साधना की थी और राम शब्द को ही उन्होंने हिंदू मुस्लिम समन्वय की भावना का प्रतीक बताया उन्होंने कहा था की गृहस्थी व्यक्ति भी बिना किसी प्रकार का कपट मन में रखे साधना कर सकता है और मोक्ष प्राप्त कर सकता है। जब समाज अन्याय, भ्रष्टाचार, बेईमानी इनकी तरफ बढ़ रहा है तब रामस्नेही संप्रदाय के संतों के विचार ही बाहर निकाल सकते हैं।

Area हिन्दी साहित्य
Issue Volume 2, Issue 3 (July - September 2025)
Published 22-09-2025
How to Cite Shodh Sangam Patrika, 2(3), 95-99.

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