| Article Title | औद्यौगिकरण और नगरीयकरण की अपार वृद्धि का सामाजिक पर्यावरण पर प्रभाव | 
| Author(s) | पुरुषोत्तम प्रसाद. | 
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| Abstract | यह शोध पत्र आधुनिक विकास प्रक्रियाओं से उत्पन्न जटिल समस्याओं का सम्यक् विश्लेषण प्रस्तुत करता है। शोध में स्पष्ट किया गया है कि तीव्र औद्योगीकरण और नगरों के विस्तार ने जहाँ एक ओर सामाजिक व आर्थिक प्रगति को गति प्रदान की है, वहीं दूसरी ओर प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन तथा प्राकृतिक असंतुलन जैसी गंभीर चुनौतियों को जन्म दिया है। उद्योगों से निकलने वाले विषैले धुएँ, रासायनिक अवशिष्ट और निरंतर बढ़ते शहरी जनसंख्या दबाव ने वायु, जल और भूमि को प्रदूषित कर दिया है, जिसके कारण असमय वर्षा, बाढ़, सूखा, भूकम्प तथा वैश्विक ऊष्मीकरण जैसी समस्याएँ तीव्र रूप से उभर रही हैं। नगरीयकरण के प्रत्यक्ष प्रभाव खाद्य उत्पादन में कमी, भूमि की उर्वरता में गिरावट और महँगाई वृद्धि के रूप में सामने आए हैं। इससे सामाजिक असमानता और आर्थिक असुरक्षा भी बढ़ी है। इस संदर्भ में पर्यावरण शिक्षा को आवश्यक बताया गया है ताकि समाज को पर्यावरणीय संकटों के प्रति जागरूक कर सतत् विकास की दिशा में अग्रसर किया जा सके। शोध पत्र में यह भी प्रतिपादित किया गया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं कठोर कानूनों द्वारा ही औद्योगिक और नगरीय विस्तार पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है। यदि समय रहते प्रभावी कदम न उठाए गए तो यह स्थिति मानव सभ्यता के अस्तित्व पर गंभीर संकट उत्पन्न कर सकती है। औद्योगीकरण और नगरीयकरण की अनियंत्रित वृद्धि सामाजिक पर्यावरण के लिए अभिशाप सिद्ध हो रही है। अतः मानव और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने हेतु सतत विकास ही एकमात्र सार्थक विकल्प है। | 
| Area | राजनीति विज्ञान | 
| Issue | Volume 2, Issue 3 (July - September 2025) | 
| Published | 24-09-2025 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 2(3), 109-112. | 
 
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