असगर वजाहत के नाटकों में सांस्कृतिक चेतना का स्वरूप

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 3 (July - September 2025)
Article Title

असगर वजाहत के नाटकों में सांस्कृतिक चेतना का स्वरूप

Author(s) गरिमा सिंह.
Country
Abstract

भारतीय संस्कृति एक सामासिक संस्कृति रही है। इसके निर्माण में बहुत लंबा समय लगा है इस कारण इसका मिलाजुला रूप दिखाई देता है। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि विभिन्न धर्म. जाति के लोग रहने पर भी इनर्क परम्परा. संस्कार. रीति-रिवाज. त्यौहार. भाषा अलग-अलग होने पर भी भारत संस्कति में एक समरूपता दिखाई देती है। असगर वजाहत एक ऐसे नाटककार हैं जिन्होंने अपने नाटकों के माध्यम से भारत के सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत किया है। इनके नाटक हिन्दू- मुस्लिम एकता की मिसाल प्रस्तुत करते हैं और भारतीय सांस्कृतिक चेतना को और भी मजबूत बनाने में सराहनीय योगदान देते हैं।

Area हिन्दी साहित्य
Published In Volume 2, Issue 1, February 2025
Published On 04-02-2025
Cite This सिंह, गरिमा (2025). असगर वजाहत के नाटकों में सांस्कृतिक चेतना का स्वरूप. Shodh Sangam Patrika, 2(1), pp. 1-8.

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