समकालीन कविता में राजनीतिक चेतना

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 3 (July - September 2025)
Article Title

समकालीन कविता में राजनीतिक चेतना

Author(s) नरेंद्र कुमार.
Country
Abstract

समकालीन कविता केवल सौंदर्यबोध या व्यक्तिगत अनुभूति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक यथार्थ का गंभीर साक्ष्य बन गई है। वर्तमान समय में जब लोकतंत्र, नैतिकता, और मानवाधिकार संकट में हैं, तब समकालीन कवि सत्ता के दमन, पाखंड और विडंबना को उजागर करते हैं। रघुवीर सहाय, धूमिल, ऋतुराज, अशोक वाजपेयी, अरुण कमल, एकांत श्रीवास्तव और मदन कश्यप जैसे कवि राजनीति के अनैतिक गठजोड़, चरित्रहीन जनप्रतिनिधियों और कुर्सी की भूख में डूबी व्यवस्था पर कठोर प्रहार करते हैं। यह कविता जनता की आवाज बनकर, उस चुप्पी को तोड़ती है जिसे सत्ता ने भय और दमन के माध्यम से स्थापित किया है। समकालीन कविता सिर्फ़ विरोध नहीं, बल्कि जन-सजगता, लोकतांत्रिक चेतना और नैतिक मूल्यबोध की पुकार है।

Area हिन्दी साहित्य
Published In Volume 2, Issue 2, June 2025
Published On 16-06-2025
Cite This कुमार, नरेंद्र (2025). समकालीन कविता में राजनीतिक चेतना. Shodh Sangam Patrika, 2(2), pp. 74-80.

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