| Article Title | उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्ष की भूमिका चौदहवीं विधानसभा से सत्रहवीं विधानसभा के विशेष संदर्भ में | 
| Author(s) | डॉ. आभा बाजपेयी, कपिल शर्मा. | 
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| Abstract | प्रस्तुत शोध में उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्ष की भूमिका चौदहवीं विधानसभा से सत्रहवीं विधानसभा के विशेष संदर्भ में अध्ययन किया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य लोकसभा और विधानसभा में सबसे अधिक सीटों के साथ सबसे अधिक आबादी वाला राज्य होने के कारण भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। उत्तर प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य भयंकर प्रतिस्पर्धा, वैचारिक टकराव और बदलती मतदाता निष्ठाओं से चिह्नित है। ऐसे गतिशील माहौल में, विपक्ष की भूमिका न केवल सत्तारूढ़ सरकार पर अंकुश लगाने के रूप में, बल्कि वैकल्पिक आवाजों और नीतियों के प्रतिनिधि के रूप में भी महत्वपूर्ण हो जाती है। 14वीं से 17वीं विधानसभा (2002-2022) तक का समय उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए परिवर्तनकारी था। इस युग में प्रारंभ में गठबंधन की राजनीति का उदय, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का उदय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पतन और भारतीय जनता पार्टी का पुनरुत्थान देखा गया। इन वर्षों के दौरान विपक्ष ने सत्तारूढ़ दलों का मुकाबला करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाईं, लेकिन उनकी प्रभावशीलता में काफी भिन्नता थी। इस शोध पत्र का उद्देश्य इस अवधि के दौरान विपक्षी दलों द्वारा अपनाई गई राजनीतिक रणनीतियों का विश्लेषण करना, उनकी सफलताओं और विफलताओं पर ध्यान केंद्रित करना है। चुनावी नतीजों, विधायी प्रदर्शन और सार्वजनिक स्वागत की जांच करके, अध्ययन विपक्षी दलों के सामने आने वाली चुनौतियों और उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य पर उनके प्रभाव को समझने का प्रयास करता है। | 
| Area | राजनीति विज्ञान | 
| Issue | Volume 2, Issue 3 (July - September 2025) | 
| Published | 21-08-2025 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 2(3), 46-51. | 
 
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