| Article Title | विश्वंभरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ कृत ‘माँ’ उपन्यास में चित्रित वेश्या-जीवन | 
| Author(s) | आकांक्षा राय, प्रो० प्रेमशंकर तिवारी. | 
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| Abstract | विश्वम्भरनाथ शर्मा 'कौशिक' प्रेमचंद युग के प्रमुख कथाकार हैं । अपने उपन्यासों में 'कौशिक' ने तत्युगीन समाज में व्याप्त स्त्री-विषयक समस्याओं का विस्तृत वर्णन किया है । वेश्यावृत्ति की समस्या उन्हीं समस्याओं में से एक है । ' माँ' उपन्यास में वेश्याओं के आडम्बरपूर्ण जीवन तथा वेश्यावृत्ति के दुष्परिणामों को दिखाकर 'कौशिक' ने पुरुष -समाज को सचेत करने का स्तुत्य प्रयास किया है । 'माँ' उपन्यास में 'कौशिक' द्वारा चित्रित वेश्या -जीवन की विशिष्टता यह है कि उन्होंने न केवल वेश्याओं के आडम्बरपूर्ण जीवन का वर्णन किया है बल्कि वेश्याओं को एक साधारण स्त्री समझते हुए उनके मनोभावों को शब्द देने का भी प्रयास किया है । 'कौशिक' की मान्यता है कि कोई भी स्त्री स्वेच्छा से पतित नहीं होती वरन् उसके ऐसा करने के पीछे बहुत से कारण होते हैं । 'कौशिक' वेश्या को हीन दृष्टि से नहीं देखते वरन् उस कर्म को हीन दृष्टि से देखते हैं, जो एक वेश्या को परिस्थितियों से विवश होकर करना पड़ता है । यही कारण है कि भाव के धरातल पर 'कौशिक' एक साधारण स्त्री व एक वेश्या में कोई अंतर नहीं रखते । एक वेश्या के मनोभावों का भी वह उतनी ही सूक्ष्मता से वर्णन करते हैं, जितनी सूक्ष्मता से एक साधारण स्त्री के मनोभावों का । | 
| Area | हिन्दी साहित्य | 
| Issue | Volume 2, Issue 3 (July - September 2025) | 
| Published | 07-09-2025 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 2(3), 69-74. | 
 
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