विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' कृत 'माँ' उपन्यास में चित्रित वेश्या-जीवन

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 3 (July - September 2025)
Article Title

विश्वंभरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ कृत ‘माँ’ उपन्यास में चित्रित वेश्या-जीवन

Author(s) आकांक्षा राय, प्रो० प्रेमशंकर तिवारी.
Country
Abstract

विश्वम्भरनाथ शर्मा 'कौशिक' प्रेमचंद युग के प्रमुख कथाकार हैं । अपने उपन्यासों में 'कौशिक' ने तत्युगीन समाज में व्याप्त स्त्री-विषयक समस्याओं का विस्तृत वर्णन किया है । वेश्यावृत्ति की समस्या उन्हीं समस्याओं में से एक है । ' माँ' उपन्यास में वेश्याओं के आडम्बरपूर्ण जीवन तथा वेश्यावृत्ति के दुष्परिणामों को दिखाकर 'कौशिक' ने पुरुष -समाज को सचेत करने का स्तुत्य प्रयास किया है । 'माँ' उपन्यास में 'कौशिक' द्वारा चित्रित वेश्या -जीवन की विशिष्टता यह है कि उन्होंने न केवल वेश्याओं के आडम्बरपूर्ण जीवन का वर्णन किया है बल्कि वेश्याओं को एक साधारण स्त्री समझते हुए उनके मनोभावों को शब्द देने का भी प्रयास किया है । 'कौशिक' की मान्यता है कि कोई भी स्त्री स्वेच्छा से पतित नहीं होती वरन् उसके ऐसा करने के पीछे बहुत से कारण होते हैं । 'कौशिक' वेश्या को हीन दृष्टि से नहीं देखते वरन् उस कर्म को हीन दृष्टि से देखते हैं, जो एक वेश्या को परिस्थितियों से विवश होकर करना पड़ता है । यही कारण है कि भाव के धरातल पर 'कौशिक' एक साधारण स्त्री व एक वेश्या में कोई अंतर नहीं रखते । एक वेश्या के मनोभावों का भी वह उतनी ही सूक्ष्मता से वर्णन करते हैं, जितनी सूक्ष्मता से एक साधारण स्त्री के मनोभावों का ।

Area हिन्दी साहित्य
Published In Volume 2, Issue 3, September 2025
Published On 07-09-2025
Cite This राय, आकांक्षा, & तिवारी, प्रो० प्रेमशंकर (2025). विश्वंभरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ कृत ‘माँ’ उपन्यास में चित्रित वेश्या-जीवन. Shodh Sangam Patrika, 2(3), pp. 69-74.

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