| Article Title | बिहार की संगीत परंपराः एक अवलोकन | 
| Author(s) | डॉ. प्रियंका कुमारी. | 
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| Abstract | भारतीय संगीत कला आदि काल से भारत की समस्त कलाओं में एक उच्च स्थान प्राप्त करते आ रही है। संगीत, जिसमें गायन, वादन, एवं नृत्य तीनों का समावेश होता है। किसी भी क्षेत्र के सांस्कृतिक जीवन की पहचान में संगीत का महत्व सभी संस्कृतियांे में निर्णायक रहा है । यह एक ओर मनोरंजन का साधन है, तो दूसरी ओर सृजनशील अभिव्यक्तियों का माध्यम है। बिहार में संगीत का स्थान महत्वपूर्ण है । महाभारत काल, रामायण काल, बौद्ध और जैन काल से लेकर वर्तमान समय तक संगीत के कई उतार चढ़ाव देखते हैं। मगध (वर्तमान बिहार) में प्राचीन समय से संगीत का केन्द्र विन्दु रहा है। नालन्दा विश्वविद्यालय, विक्रमशीला विश्वविद्यालय, उदन्तपुरी विश्वविद्यालय में संगीत के स्वतंत्र संकाय हुआ करता था। बुद्ध के समय से राजगीर, वैशाली, गया, पाटलीपुत्र जैसे नगरांे में गायक, गायिकाओं और नर्तकियों एवं गणिकाओं की उपस्थिति के साक्ष्य मिलते हैं। बिहार में सूफी संतों के माध्यम से संगीत की प्रगति हुई, जबकि वैष्णव धर्म आंदोलन के माध्यम से नृत्य और संगीत दोनों का विकास हुआ। वर्तमान समय में गायन, वादन, नृत्य एवं लोक संगीत की परंपरा कायम है। | 
| Area | संगीत | 
| Issue | Volume 2, Issue 3 (July - September 2025) | 
| Published | 24-09-2025 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 2(3), 105-108. | 
 
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