हिंदी एवं नेपाली कहानियों में धार्मिक एवं सांस्कृतिक संवेदना

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 4 (October - December 2025)
Article Title

हिंदी एवं नेपाली कहानियों में धार्मिक एवं सांस्कृतिक संवेदना

Author(s) मोहन महतो.
Country
Abstract

धार्मिक संवेदना किसी भी व्यक्ति या समाज की आस्था, परंपरा और धार्मिक विश्वासों के प्रति उसकी भावना को दर्शाती हैl यह सहिष्णुता, सम्मान, नैतिकता और समाज में शांति स्थापित करने में सहायक होती हैl हालांकि, जब इसे कट्टरता, असहिष्णुता और सांप्रदायिकता से जोड़ दिया जाता है, तो यह सामाजिक संघर्ष का कारण भी बन सकती हैl इसलिए धार्मिक संवेदना का संतुलित और उदार दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक हैl धार्मिक संवेदना के प्रमुख पहलू हैं -आस्था और विश्वास, धार्मिक मूल्यों की रक्षा, धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द, धार्मिक आस्थाओं पर चोट का अनुभव, धर्म और समाज के बीच संबंध l साहित्य में धार्मिक संवेदना का उपयोग पौराणिक कथाओं भक्ति साहित्य नैतिक शिक्षाओं और धर्म से जुड़े सामाजिक मुद्दों के चित्रण में किया जाता है l तुलसीदास के रामचरितमानस, कबीर और सूरदास की रचनाएं धार्मिक संवेदना से भरपूर हैl आधुनिक साहित्य में प्रेमचंद से लेकर अखिलेश, संजीव, मनोज रुपाड़ा, मधु कांकरिया, अनामिका, गीतांजलि श्री जैसे साहित्यकारों ने धार्मिक संवेदना को नए दृष्टिकोण से देखा है l समाज में धार्मिक संवेदना लोगों के आचरण, रीति- रिवाज और सामूहिक जीवन को प्रभावित करती हैंl यह सामाजिक नैतिकता दान, सेवा और भाईचारे की भावना को जन्म देती है l

Area हिन्दी साहित्य
Issue Volume 2, Issue 2 (April - June 2025)
Published 05-06-2025
How to Cite Shodh Sangam Patrika, 2(2), 33-43.

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