प्रकृति बोध का काव्य हाइकु

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 3 (July - September 2025)
Article Title

प्रकृति बोध का काव्य हाइकु

Author(s) प्रदीप कुमार दाश ‘दीपक’, डॉ. सुरुचि मिश्रा.
Country
Abstract

भारत एवं जापान दोनों देश के साहित्य में 'ध्यान' का बड़ा महत्व है । ध्यान भारतीय दर्शन में संसार से मुक्ति (मोक्ष/निर्वाण) की ओर ले जाने वाला एक चिंतन है। यह चेतन मन की एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति स्वयं की चेतना बाह्य जगत् के किसी चुने हुए स्थल-विशेष पर केंद्रित करता है। ध्यान से जीवन में दिव्यता आती है, और जब व्यक्ति इस दिव्यता का अनुभव कर लेता है, तो सारी सृष्टि उसे सुन्दर प्रतीत होने लगती है। ध्यान से व्यक्ति जीवन की समस्त बुराइयों से ऊपर उठ जाता है और इस संसार को सुंदर बनाने के कार्य में संलग्न हो जाता है । जापान में ज़ेन बौद्ध धर्म का मुख्य अभ्यास बैठ कर ध्यान करना है । सतह पर ध्यान का अभ्यास काफी आसान या सरल लग सकता है, लेकिन जिसने भी ध्यान किया है वह जानता है कि पाँच मिनट तक स्थिर रहना कितना मुश्किल हो सकता है । “ज़ेन ध्यान मुद्रा पर केंद्रित है, इसमें साँसों का अनुसरण किया जाता है । एक समय में एक साँस लेना और एक साँस छोड़ना । हर बार जब कोई विचार उठता है, तो हम विचार का अनुसरण नहीं करते हैं और साँस पर लौट आते हैं । इस तरह देखा जाए तो सचमुच साँसों से विचारों का गहरा संबंध स्थापित है । कविता' कवि के आंतरिक भाव, विचारों का उद्वेलित रूप है, इस तरह देखा जाए तो काव्य में श्वास यानी भाव व विचारों का महत्व लाजिमी है ।

Area हिन्दी साहित्य
Published In Volume 2, Issue 2, June 2025
Published On 05-06-2025
Cite This ‘दीपक’, प्रदीप कुमार दाश, & मिश्रा, डॉ. सुरुचि (2025). प्रकृति बोध का काव्य हाइकु. Shodh Sangam Patrika, 2(2), pp. 44-51.

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