स्त्री अस्मिता और कथा-संवेदना: मनीषा कुलश्रेष्ठ और हेमन्दास राई की कहानियों का तुलनात्मक पाठ

Shodh Sangam Patrika

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Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 4 (October - December 2025)
Article Title

स्त्री अस्मिता और कथा-संवेदना: मनीषा कुलश्रेष्ठ और हेमन्दास राई की कहानियों का तुलनात्मक पाठ

Author(s) मोहन महतो, डॉ विनोद कुमार.
Country
Abstract

इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में स्त्री अस्मिता का विमर्श हिंदी और नेपाली साहित्य में एक केन्द्रीय स्थान ग्रहण करता है। यह विमर्श केवल स्त्री की शारीरिक पहचान तक सीमित न रहकर, उसके मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और जातीय संघर्षों को भी उकेरता है। प्रस्तुत शोध-पत्र में हिंदी की प्रतिष्ठित कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ तथा नेपाली साहित्य के सशक्त स्वर हेमन्दास राई की कहानियों के माध्यम से स्त्री अस्मिता और कथा-संवेदना का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है।इस शोध का प्रमुख उद्देश्य इन दोनों भाषाओं में स्त्री की स्थिति, संघर्ष और चेतना को समझना है—विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों में। मनीषा की कहानियाँ शहरी, शिक्षित, आत्मनिर्भर स्त्री की मानसिक ऊहापोह, विरोध और आत्मसंघर्ष को दर्शाती हैं; वहीं हेमन्दास की कहानियाँ ग्रामीण, वंचित, जातीय संदर्भों में स्त्री की मौन पीड़ा और सामाजिक घुटन की अभिव्यक्ति हैं। “केयर ऑफ़ स्वात घाटी”,“बौनी होती परछाई”,“गंधर्व गाथा” कहानी संग्रह एवं “किरदार” जैसी कहानियाँ स्त्री के आत्म-संघर्ष, पहचान-निर्माण और पितृसत्ता से संघर्ष की कहानियाँ हैं। दूसरी ओर “रातो टीका”, “माछा खाने मान्छेहरू” और “अभाव” जैसी नेपाली कहानियाँ स्त्री के जीवन में जातीयता, निर्धनता और परंपरा के दबाव को उजागर करती हैं। यह शोध तुलनात्मक साहित्य की पद्धति पर आधारित है, जिसमें कहानी के कथ्य, पात्र, भाषा, शिल्प और संवेदना के स्तर पर अध्ययन किया गया है।

Area हिन्दी साहित्य
Issue Volume 2, Issue 2 (April - June 2025)
Published 17-06-2025
How to Cite Shodh Sangam Patrika, 2(2), 81-87.

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