Article Title |
भक्ति कालीन काव्य में सामाजिक समरसता की अवधारणा |
Author(s) | प्रिया वर्मा. |
Country | |
Abstract |
भक्ति कालीन काव्य भारतीय समाज में व्याप्त विषमता, जातिवाद, धार्मिक रूढ़ियों और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध एक सशक्त आवाज़ के रूप में उभरा। इस युग के कवियों ने भक्ति को व्यक्तिगत अनुभव के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता का माध्यम बनाया। कबीर, रविदास, मीराबाई, तुलसीदास और अन्य संत कवियों ने अपने काव्य के माध्यम से सामाजिक समरसता, मानवतावाद और समता के संदेश को जन-जन तक पहुँचाया। इन्होंने न केवल धार्मिक कट्टरता का विरोध किया, बल्कि एक ऐसे समाज की कल्पना की जहाँ सभी मानव बराबर हों। यह समीक्षा-पत्र भक्ति कालीन काव्य में निहित सामाजिक समरसता की अवधारणा का विश्लेषण करता है और यह दर्शाता है कि किस प्रकार भक्ति आंदोलन ने भारतीय समाज में समन्वय और एकता की भावना को जागृत किया। |
Area | हिन्दी साहित्य |
Published In | Volume 1, Issue 2, May 2024 |
Published On | 14-05-2024 |
Cite This | वर्मा, प्रिया (2024). भक्ति कालीन काव्य में सामाजिक समरसता की अवधारणा. Shodh Sangam Patrika, 1(2), pp. 13-16. |