| Article Title | हिन्दी साहित्य में आदिवासी जीवन और संस्कृति का चित्रण | 
| Author(s) | कविता शुक्ला. | 
| Country | |
| Abstract | भारत एक विविधता से भरा हुआ देश है, जहाँ अनेक जातियाँ, समुदाय, भाषाएँ और संस्कृतियाँ सह-अस्तित्व में हैं। इन समुदायों में आदिवासी समाज एक महत्वपूर्ण लेकिन लंबे समय तक उपेक्षित वर्ग रहा है। आदिवासी जीवन प्रकृति से गहराई से जुड़ा होता है, परंतु औपनिवेशिक दृष्टिकोण, आधुनिकता और मुख्यधारा की राजनीति ने इनके अस्तित्व, संस्कृति और पहचान को संकट में डाला है। ऐसे में हिन्दी साहित्य, जो सामाजिक यथार्थ का आईना होता है, ने किस प्रकार आदिवासी जीवन को चित्रित किया है – यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण और समयसापेक्ष है। आज के वैश्विक और राष्ट्रीय विमर्शों में "हाशिये पर खड़े" समुदायों को केंद्र में लाने की आवश्यकता को प्रमुखता मिल रही है। इसलिए हिन्दी साहित्य में आदिवासी जीवन और संस्कृति की प्रस्तुति का मूल्यांकन करना जरूरी हो गया है कि यह चित्रण सहानुभूतिपरक है या वास्तव में उनकी आत्म-अभिव्यक्ति को स्थान देता है। | 
| Area | हिन्दी साहित्य | 
| Issue | Volume 1, Issue 4 (October - December 2024) | 
| Published | 27-12-2024 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 1(4), 25-33. | 
 
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