अनामिका की काव्य भाषा : स्त्री भाषा के संदर्भ में

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 3 (July - September 2025)
Article Title

अनामिका की काव्य भाषा : स्त्री भाषा के संदर्भ में

Author(s) पूजा कुमारी गुप्ता.
Country
Abstract

अनामिका की काव्य भाषा में सहजता, सरलता, प्रवाह मयता का उल्लेख सहज ही मिल जाता है। उनकी काव्य भाषा का लचीलापन उनकी कविताओं में बहुत ही आसानी से देखने को मिलता है। वह अपनी कविता में लयबद्धता, बिंब, प्रतीक, तत्सम, तद्भव तथा देशज शब्दों के माध्यम से काव्य भाषा को समृद्ध किया है। अनामिका की कविता में बदलते परिवेश, टूटते मूल्य और विखंडित होते संयुक्त परिवार, अकेलेपन का संत्रास, स्त्री - पुरुष संबंध में आयी शिथिलता को लेखिका ने अपनी कविता में बखूबी चित्रण किया है। अनामिका की कविता के कैनवास के केंद्र में स्त्री अपने अनेक रूप और रंग में विद्यमान है। महानगर और जनपद, बुद्धिजीवी और श्रमजीवी बालक और वृद्ध, परिवार और समाज तक उसकी संवेदना का विस्तार है। उपेक्षित मानवीयता और उसकी विवशता भी उनकी कविताओं में प्रकट होती है।

Area हिन्दी साहित्य
Published In Volume 2, Issue 1, March 2025
Published On 31-03-2025
Cite This गुप्ता, पूजा कुमारी (2025). अनामिका की काव्य भाषा : स्त्री भाषा के संदर्भ में. Shodh Sangam Patrika, 2(1), pp. 102-107.

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