समकालीन उपन्यासों में चित्रित कामकाजी महिलाएं

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 4 (October - December 2025)
Article Title

समकालीन उपन्यासों में चित्रित कामकाजी महिलाएं

Author(s) सुमन साहू.
Country
Abstract

समकालीन दौर में स्त्री के कामकाजी जीवन में आने वाले अनेक चुनौतियों का चित्रण हिंदी जगत के समकालीन उपन्यासकारों के उपन्यासों में देखा जा सकता है। समकालीन उपन्यासकारों में मुख्यतः मन्नू भंडारी, ममता कालिया, उषा प्रियंवदा, कृष्णा सोबती आदि कामकाजी स्त्री के जीवन दशा को बहुत बारीकी से समझ पाई है। उनके उपन्यासों को पढ़कर हम नौकरी पेशा में कार्यरत स्त्री की स्थिति को बेहतर ढंग से समझ सकते है। यह लेखिकाएं आधुनिक महिलाओं के विचारों में आने वाले परिवर्तनों को रचना का आधार बनाती है। उनकी स्त्रियां भौतिक जगत की मार सहते हुए, आर्थिक संकटों से गुजरती नजर आती है। इनके उपन्यासों की महिलाएं कामकाजी जीवन में अनेक शारीरिक व मानसिक पीड़ा सहती हुई दिखती है। दफ्तरी जीवन में महिलाओं को परपुरुषों के हवस भरी नजरों का शिकार होना पड़ता है। कई बार यह पुरुष महिलाओं पर बलात् करने की कोशिश भी करते है । महिलाओं के साथ कार्यस्थलों पर ऐसी घटनाएं होती ही रहती है किंतु वह अपनी सूझ-बूझ व विवेक से अपनी सुरक्षा स्वयं ही करती है। समकालीन उपन्यासों में चित्रित स्त्रियां पराधीनता को अस्वीकारते हुए अपने बलबूते पर आगे बढ़ने का हौसला रखती है। वह अपने जीवन की बागडोर अपने हाथों में रखती है। स्वयं बाहरी जीवन से संघर्ष कर समाज में अपनी स्थिति मजबूत करती है। आज महिलाएं भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए पुरुष पर आश्रित नहीं रहती, बल्कि वह मेहनत कर अपनी इच्छा पूर्ति खुद करती है। कामकाजी जीवन में प्रवेश कर महिलाओं ने साबित कर दिया, कि वह अपने जीवन की स्वामिनी स्वयं है। उसे भी स्वतंत्र निर्णय लेने का तथा स्वतंत्र जीवन जीने का पूरा हक है।

Area हिन्दी साहित्य
Issue Volume 2, Issue 2 (April - June 2025)
Published 30-05-2025
How to Cite Shodh Sangam Patrika, 2(2), 27-32.

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