आधुनिक कुमाउँनी कविताएँ : चिंतन के विविध आयाम

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 3 (July - September 2025)
Article Title

आधुनिक कुमाउँनी कविताएँ : चिंतन के विविध आयाम

Author(s) मुकेश कुमार.
Country
Abstract

विद्वानों का मानना है कि कुमाउँनी बोली में कविताएँ 18वीं शताब्दी से लिखी जानी प्रारम्भ हुई। कुमाउँनी कवियों ने अपनी कविताओं में प्रत्येक प्रकार के चिंतन को दर्शाया है। उन्होंने पलायन, महंगाई, बेरोजगारी, नारियों की स्थिति, पर्यावरण आदि की समस्या को अपनी कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया है। पुराने समय में लोग आपस में मिलकर काम किया करते थे अब ऐसी स्थिति नहीं है। त्यौहारों के समय लोगों में पूर्व जैसा उल्लास देखने को नहीं मिलता है। जब से पहाड़ों में पलायन बढ़ा है यहाँ के लोगों के साथ-साथ पर्यावरण की दूर्दशा हो गई है। पुरुष शराब की लत के कारण अपना सारा धनधान्य और जीवन बर्बाद कर रहे हैं। कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से यहाँ के लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है तथा बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया है।

Area हिन्दी साहित्य
Published In Volume 2, Issue 3, September 2025
Published On 02-09-2025
Cite This कुमार, मुकेश (2025). आधुनिक कुमाउँनी कविताएँ : चिंतन के विविध आयाम. Shodh Sangam Patrika, 2(3), pp. 58-68.

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