| Article Title | जैन दर्शन में शिक्षा की संकल्पना | 
| Author(s) | डा. अनिल कुमार. | 
| Country | |
| Abstract | सारांश जैन दर्शन का प्रादुर्भाव अति प्राचीन है। वेद और उसके द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों के विरुद्ध तथा कर्मकाण्डों के विरुद्ध सामाजिक परिस्थितियों के फलस्वरूप इसका विकास हुआ। ब्राह्मण व्यवस्था से असंतोष के कारण आसानी से इस धर्म को लोगों ने स्वीकार कर लिया। जैन धर्म में चौबीस तीर्थकरों के द्वारा समय-समय पर जो त्याग तपस्या की बातें की गईं उन्होंने तत्कालीन समाज को ज्यादा प्रभावित किया। जैन दर्शन ने वैभव साम्राज्य को त्यागकर सुख की तलाश में भिक्षुक जीवन धारण कर विश्व शान्ति का उपदेश दिया और हिंसाग्रस्त समाज को बताया कि जीवन क्या है। परोपकार की भावना से मनुष्य को निर्वाण की प्राप्ति हो सकती है। ऊँच-नीच की जो भावना समाज में व्याप्त थी उसका विरोध किया गया तथा जैन शिक्षा दर्शन द्वारा संसार को मुक्ति के मार्ग का उपदेश दिया गया। | 
| Area | शिक्षा शास्त्र | 
| Issue | Volume 2, Issue 3 (July - September 2025) | 
| Published | 13-09-2025 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 2(3), 75-81. | 
 
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