| Article Title | ग्रामीण विकास में महिलाएं: कृषि, लघु उद्योग और सामाजिक परिवर्तन | 
| Author(s) | रेशमा देवी. | 
| Country | |
| Abstract | भारतवर्ष ग्रामीण पृष्ठभूमि वाला देश है| यहाँ की आधे से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।इन ग्रामीण क्षेत्रों की आधी आबादी महिला हैं|जो कि भारत के विकास हेतु आवश्यक है| ग्रामीण विकास और ग्रामीण विकास में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना |ग्रामीण विकास की परिधि में शिक्षा, संस्कृति, कला ,कौशल ,चिकित्सा, सामुदायिक विकास, कृषि ,सामाजिक सुधार ,पशुपालन, उद्योग धंधे ,रोजगार का विस्तार, पेयजल ,विद्युत की व्यवस्था, संचार और परिवहन की व्यवस्था का विस्तार आदि महत्वपूर्ण है|ग्रामीण महिलाएं घर के अंदर और बाहर कई सामाजिक और आर्थिक भूमिकाएं निभाती हैं ,किंतु उनके इस योगदान को समाज में उचित स्थान और मूल्य नहीं मिल पाता तथा ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमो का उचित लाभ नहीं मिल पाता है| यह शोध पत्र ग्रामीण विकास और परिवर्तन में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी को समझने का प्रयास करता है| महिलाएं ग्रामीण विकास में प्राचीन काल से योगदान देती आई है| ग्रामीण विकास की रीढ़ की हड्डी कृषि, पशुपालन, लघु और कुटीर उद्योग है| इन कार्यों में महिलाओं की भागीदारी अतुलनीय है|कृषि, पशुपालन में महिलाएं पुरुषों के बराबर कार्य करती आई है| लघु और कुटीर उद्योग तो मुख्यतः हस्तशिल्प पर आधारित होते हैं जिनमें महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है | | 
| Area | समाजशास्त्र | 
| Issue | Volume 2, Issue 3 (July - September 2025) | 
| Published | 17-09-2025 | 
| How to Cite | Shodh Sangam Patrika, 2(3), 89-94. | 
 
								 View / Download PDF File
                                                                                                View / Download PDF File