श्रीमती मेहरुन्निसा परवेज़ की कहानियों में स्त्री विमर्श

Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 4 (October - December 2025)
Article Title

श्रीमती मेहरुन्निसा परवेज़ की कहानियों में स्त्री विमर्श

Author(s) डॉ. भावनाकुमारी एस. गोहिल.
Country India
Abstract

अनीतिमूलक सामाजिब प्रतिबंध के विरुद्ध एक इन्सान की स्वतंत्रता का, उसकी अस्मिता का स्वर है स्त्री विमर्श । इस आधी दुनिया को समझना वस्तुतः इतिहास के भीतर इतिहास तलाशना ही है। अभी जिसे इतिहास समझा जाता है वह वास्तव में अर्ध सत्य है । जब हर पहलू को इमानदारी से टटोला जाएगा, तब जो इतिहास निर्मित होगा वह सही अर्थ में पूर्ण इतिहास माना जाएगा । बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में शुरू हुए नारी आंदोलन ने सभी भाषा साहित्य को विशेषकर हिन्दी साहित्य को काफी प्रभावित किया है। हम यह नहीं भूलते कि स्त्री विमर्श यूरोप और अमेरिका की देन है पर भारत में स्त्री विमर्श का अपना एक स्वतंत्र इतिहास रहा है जिसे अपने देश की मिट्टी से जुड़ी समस्या को ध्यान में रखकर अपने लिए पश्चिम से अलग मौलिक सिद्धांतो की आवश्यकता है और उन सिद्धांतो को ध्यान में रखकर कार्य किया जाएगा तब आगे जाकर एक दिन ज़रूर स्त्री की भूमिका बदलेगी। भूमिका में बदलाव के लिए पुरुष का सकारात्मक हस्तक्षेप होना ज़रूरी है। नारी समाज का ही हिस्सा है और समाज को मज़बूत बनाने की प्रक्रिया में स्त्री का सशक्तिकरण होना सहज ही शामिल हो जाता है। आज बाज़ारवाद की सबसे बड़ी शिकार स्त्री ही हुई है। दलित उद्धार के लिए कई सफल प्रयास हो चुके हैं पर वास्तव में स्त्री से अधिक दलित कोई नहीं है। प्रत्येक देश की परिस्थिति के अनुरूप ही वहाँ के समाज का निर्माण होता है। यह बात बिलकुल सत्य है पर इससे जुड़ा एक भद्दा सत्य यह भी है कि हर समाज में स्त्री की स्थिति एक जैसी ही है। इस बात का ठीक ठीक अनुमान हम लेखकों के द्वारा लिखे गए साहित्य को पढ़कर लगा सकते हैं। आज सम्पूर्ण विश्वमें स्त्री विमर्श साहित्य का एक दृढ स्वर बनकर उभर रहा है। भिन्न भिन्न दृष्टिकोण से स्त्री के सम्बन्ध में बहस छिड़ी हुई है। ऐसा क्यों हो रहा है ? इस कारण के पीछे छीपी है स्त्री की अंतरकथा। यह एक ऐसी यात्रा है जो अपने यात्री को पीड़ा पहुँचाए बिना उसे अपने गंतव्य तक पहुँचाने का दायित्व सम्भाल रही है।

Area हिन्दी साहित्य
Issue Volume 2, Issue 3 (July - September 2025)
Published 2025/09/30
How to Cite Shodh Sangam Patrika, 2(3), 142-148.

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